गन्ना किसानों के लिए साल 2025 मुश्किल भरा साबित होने वाला है, क्योंकि हर साल गन्ने की फसल में नए-नए रोग देखने को मिल रहे हैं। इन रोगों के कारण गन्ना किसानों का उत्पादन लगातार कम होता जा रहा है, और अब कई किसान गन्ने की खेती छोड़कर दूसरी फसल बोने पर विचार कर रहे हैं। खास तौर पर गन्ने की किस्म सीओ 0238 में पिछले कुछ सालों में भारी मात्रा में रोग देखने को मिले, जिसके कारण किसानों की पूरी फसल बर्बाद हो गई। यह वही किस्म है जो अपनी अधिक पैदावार के लिए जानी जाती थी।
गन्ने की किस्म सीओ 0238 में रोगों का बढ़ता असर
हर साल गन्ने की किस्म सीओ 0238 में रोगों की समस्या बढ़ती जा रही है, जिसके कारण किसानों को गन्ना उत्पादन में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। गन्ना विभाग किसानों के लिए नई-नई किस्में ला रहा है, लेकिन ज्यादातर किसान उन्हें अपनाने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इसका कारण यह है कि सीओ 0238 किस्म पहले 60 से 110 क्विंटल तक अधिक पैदावार देती थी, जो अब संभव नहीं है। गन्ने की बीमारियों का किसानों पर असर
उत्तर भारत गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक है और CO 0238 किस्म ने इसकी पैदावार में अहम योगदान दिया है। लेकिन बीमारियों की वजह से इस किस्म का उत्पादन तेजी से कम हुआ है। CO 0238 अब बूढ़ी हो चुकी है और इसके जीन कमजोर हो चुके हैं, जिसकी वजह से यह बीमारियों की चपेट में आ रही है।
बीमारियों की वजह से किसानों को अपनी फसल में 40 फीसदी तक का नुकसान देखने को मिल रहा है। CO 0238 किस्म के गन्ने सूख रहे हैं और पूरे खेत में कुछ ही गन्ने बचे हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस पर अब कोई दवा काम नहीं कर रही है, जिसकी वजह से किसानों का मुनाफा काफी कम हो रहा है।
गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए क्या करें?
गन्ने के किसानों को अब CO 0238 किस्म की जगह दूसरी किस्में अपनानी चाहिए। गन्ना विभाग ने कई नई किस्में जारी की हैं जो रोग प्रतिरोधक हैं और अच्छी पैदावार देती हैं। इनमें सीओ 14202, 16202, 15466, सीओ 13235, 17231, 18231, सीओ 0118 और 15023 प्रमुख हैं। इन किस्मों को अपनाकर किसान फसल रोगों से बच सकते हैं और बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
गन्ने की बुवाई से पहले ध्यान रखें कि रोगग्रस्त गन्ना बिल्कुल न बोएं। गन्ने के बीजों को 0.1% कार्बेन्डाजिम के घोल में 10 मिनट तक डुबोकर उपचारित करें। इससे फसल पर रोगों का खतरा कम होगा।
सीओ 0238 किस्म: फायदे और नुकसान
सीओ 0238 किस्म कभी किसानों के लिए फायदेमंद थी। इसकी पैदावार बहुत अधिक थी और इससे चीनी भी अधिक निकलती थी। साथ ही मिल ने भी इसे जल्दी स्वीकार कर लिया। लेकिन अब यह किस्म रोगों के कारण किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। गन्ना विभाग ने इस किस्म को खारिज कर दिया है और अब इसे उगाने की सलाह नहीं दी जाती।
गन्ने की फसल के लिए अन्य सुझाव
- उचित बुवाई: गन्ने की ऊपरी सतह पर बुवाई करने से उपज में सुधार होता है।
- सिंचाई एवं उर्वरक: उचित सिंचाई तथा उर्वरकों का सही समय पर तथा सही मात्रा में प्रयोग करके जल का उचित उपयोग करें।
- फसल निगरानी: खेतों की नियमित निगरानी करें। यदि कोई रोग दिखाई दे तो यथाशीघ्र नजदीकी कृषि वैज्ञानिक से परामर्श लेना चाहिए।
- रोग प्रतिरोधी किस्में: ऐसी नई किस्में चुनें जो रोगों के लिए अवरोधक का काम कर सकें।
निष्कर्ष
वित्त वर्ष 2024-25 गन्ना उत्पादकों के लिए बहुत अच्छा नहीं रहा है। सीओ 0238 जैसी पुरानी किस्मों में रोग बढ़ने के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है। इस संकट से बचने का एकमात्र उपाय नई तथा रोग प्रतिरोधी किस्में लाना है, ताकि किसानों को लाभ की रक्षा करने का मौका मिले।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
2025 में गन्ना किसानों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ेगा?
2025 में पुरानी गन्ना किस्म CO 0238 में कीट और रोग प्रकोप सबसे बड़ी समस्या बन गई। किसानों ने केले की इस किस्म में फसल सूखने, कम उपज और बीमारियों में वृद्धि से नुकसान की शिकायत की है।
गन्ना किस्म CO 0238 में कौन-कौन सी बीमारियाँ देखी गईं?
गन्ना किस्म CO 0238 में फसल सूखने, तना छेदक, लाल सड़न और पत्तियों पर फंगल संक्रमण जैसे रोगजनक रोग प्रमुख थे। यह किस्म अब पुरानी हो गई है, और इसलिए इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो गई है।
अब गन्ना किस्म CO 0238 उगाना सुरक्षित है।
दुर्भाग्य से, अब इस प्रकार का पौधा नहीं उगाया जा सकता क्योंकि विशेषज्ञ लोगों को इसे उगाने की सलाह नहीं देते हैं। इसके बजाय, गन्ना विभाग ने कुछ नई रोग प्रतिरोधी किस्में जैसे सीओ 14202, सीओ 16202 और सीओ 15466 आदि लॉन्च की हैं, जो अधिक उपज देती हैं और उनमें रोग प्रतिरोधक जीन होते हैं।
गन्ने की फसल को प्रभावित करने वाले रोगों को नियंत्रित करने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए?
- नई किस्मों का चयन करें: रोग प्रतिरोधी गन्ने की किस्मों को चुनें जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं; सीओ 13235, सीओ 0118, और सीओ 18231।
- बीज उपचार: निम्नलिखित तकनीक का उपयोग करके ट्रे में गन्ना लगाने से पहले 0.1% कार्बेन्डाजिम घोल का उपयोग करके बीजों की सिंचाई करें;
- सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन: फसल को समय पर पानी देना और फसल में समय पर उर्वरक डालना महत्वपूर्ण है।
- फसल की निगरानी: अक्सर खेतों का दौरा करें और किसी बीमारी के शुरुआती संकेत पर कृषि विशेषज्ञ से संवाद करें।
क्या 2025 में गन्ने के उत्पादन में वृद्धि हो सकती है?
इसलिए जब किसान नई किस्मों का उपयोग करने और वैज्ञानिक तरीके से भूमि पर खेती करने का निर्णय लेते हैं तो बेहतर उत्पादन हो सकता है। लेकिन, यह पूरी तरह से किसानों द्वारा अपनाए गए फसल प्रबंधन उपायों और गन्ना विभाग की मदद पर निर्भर करता है।
2025-26 के लिए गन्ना विभाग क्या कर रहा है?
गन्ना विभाग ने उन्नत रोग प्रतिरोधी किस्में विकसित की हैं और किसानों को प्रशिक्षण और सहायता देना शुरू किया है। इसके अलावा, किसानों को उन्नत तरीकों का उपयोग करके फसल प्रबंधन की कला सिखाने का प्रयास किया जा रहा है।