सत्र 2025-26 में उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने रिकॉर्ड गन्ना पेराई कर सबसे ज्यादा चीनी का उत्पादन किया। इस वजह से किसानों को किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा। इसी दौरान सरकार ने चुनाव को ध्यान में रखते हुए गन्ने की कीमत में ₹20 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की थी। हालांकि, इस फैसले से किसान पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे क्योंकि वे ₹400 से ₹500 प्रति क्विंटल की मांग कर रहे थे।
पिछले कई सालों से गन्ने की कीमत में बढ़ोतरी नहीं हुई थी, जिससे किसानों में नाराजगी थी। किसानों ने जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया। किसानों की नाराजगी को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ₹20 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की घोषणा की, लेकिन यह मांग से काफी कम थी।
2025 का गन्ना भुगतान कब आएगा?
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की थी कि गन्ना भुगतान किसानों को 14 दिनों के भीतर भेजा जाएगा। हालांकि, कुछ चीनी मिलों ने यह समयसीमा पूरी की, लेकिन कई मिलों में किसानों का भुगतान 6 महीने से लेकर 1.5 साल तक लंबित है।
उत्तर प्रदेश में कुछ चीनी मिलों ने 1 साल और 6 महीने तक का गन्ना भुगतान रोक रखा है। कुछ मामलों में गन्ना समितियां भी भुगतान में देरी का कारण बनी हैं। गन्ना समिति अब खुद किसानों को भुगतान कर रही है। चीनी मिल से गन्ना समिति को 14 दिनों में भुगतान भेजा जाता है, लेकिन समिति इसे और 14 दिनों तक रोके रखती है।
मुजफ्फरनगर और मुरादाबाद के किसानों का भुगतान अब भी 1 साल तक लंबित है। कई मिलों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशों की अनदेखी की है, जिसके चलते किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
₹20 प्रति क्विंटल का भुगतान कैसे किया जाएगा?
सत्र 2025-26 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ने की कीमत में ₹20 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की। इससे गन्ने की कीमत ₹350 प्रति क्विंटल से बढ़कर ₹370 प्रति क्विंटल हो गई। इस बढ़ोतरी के बाद गन्ना विभाग ने किसानों को बाकी बकाया राशि भेजनी शुरू कर दी है।
कुछ चीनी मिलों ने किसानों के खातों में यह राशि भेज दी है, लेकिन कुछ मिलों में अब भी ₹20 प्रति क्विंटल की रकम अटकी हुई है। सरकार ने चीनी मिलों को 14 दिनों के भीतर किसानों को भुगतान करने का निर्देश दिया है, लेकिन कुछ मिलें अब भी इसे रोक कर बैठी हैं।
उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें कब तक चलेंगी?
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उत्तर प्रदेश भारत में सबसे अधिक गन्ना उत्पादन करने वाला राज्य है। यहां नवंबर से अप्रैल के बीच किसान अपनी फसल चीनी मिलों में पहुंचाते हैं। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 92 चीनी मिलें चालू हैं।
कुछ चीनी मिलें उन क्षेत्रों में बंद कर दी गई हैं जहां 100% गन्ना पेराई हो चुकी है। हालांकि, मुजफ्फरनगर, मेरठ, शामली, मुरादाबाद, हापुड़ और अमरोहा जैसे जिलों में ज्यादातर चीनी मिलें अभी भी चल रही हैं।
मिलों को गन्ने की आपूर्ति के आधार पर बंद किया जाएगा। सरकार तब तक चीनी मिलों को बंद नहीं करेगी, जब तक सभी किसानों का गन्ना पेराई के लिए नहीं लिया जाता। कुछ मिलें 20 अप्रैल तक चलती रहेंगी और किसानों को ज्यादा से ज्यादा पर्चियां जारी की जा रही हैं, ताकि वे अपना गन्ना समय पर सप्लाई कर सकें।
मिल बंद होने की सूचना कैसे मिलती है?
मिल बंद होने से पहले किसानों को इसकी जानकारी दी जाती है। किसानों को संदेश के जरिए सूचित किया जाता है कि मिल इस तारीख को बंद हो जाएगी। अगर किसी किसान का गन्ना बचा हुआ है तो वह इसे मिल में ला सकता है।
सरकार और गन्ना विभाग का मुख्य उद्देश्य है कि सभी किसानों का गन्ना सही समय पर पेराई के लिए मिलों तक पहुंच जाए और उन्हें समय पर भुगतान मिले। अधिक जानकारी के लिए http://enquiry.caneup.in पर जाएं।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
एसएमएस पर गन्ना भुगतान की जानकारी कैसे प्राप्त करें?
गन्ना विभाग किसानों को भुगतान और पर्चियों से संबंधित जानकारी एसएमएस के माध्यम से भेजता है। सुनिश्चित करें कि आपका मोबाइल नंबर caneup पोर्टल पर पंजीकृत है।
गन्ना भुगतान के लिए कौन से दस्तावेज़ आवश्यक हैं?
- गन्ना पंजीकरण संख्या।
- आधार कार्ड।
- बैंक खाता विवरण।
- पर्ची संबंधी विवरण (यदि आवश्यक हो)।
गन्ना बकाया का भुगतान कब किया जाता है?
उत्तर प्रदेश सरकार ने चीनी मिलों को 14 दिनों के भीतर किसानों को गन्ना भुगतान करने का निर्देश दिया है। यदि देरी होती है, तो किसान पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
गन्ना बकाया क्यों होता है?
गन्ना बकाया आमतौर पर निम्नलिखित कारणों से हो सकता है:
- चीनी मिल द्वारा समय पर भुगतान न करना।
- गन्ना उत्पादन पर किसान का आंशिक सर्वेक्षण।
- बैंक विवरण में त्रुटि।
- किसी तकनीकी कारण से समय पर पर्ची या भुगतान न मिलना।