उत्तर प्रदेश में पेराई सत्र 2025-2026 के लिए गन्ना सट्टा और आपूर्ति नीति जारी कर दी गई है। गन्ना और चीनी आयुक्त संजय आर. भुसरेड्डी ने इस नीति की घोषणा की। इसमें कई अहम बदलाव किए गए हैं, जो छोटे किसानों को राहत प्रदान करेंगे।
गन्ना वितरण में हुए बदलाव
इस बार गन्ना वितरण नीति के तहत चीनी मिलों को राज्य के गन्ना किसानों को गन्ना पर्ची जारी करने के लिए विशेष निर्देश दिए गए हैं। गन्ना सट्टा और आपूर्ति प्रक्रिया में संशोधन किया गया है, जिससे छोटे किसानों को अधिक लाभ मिलेगा।
आयुक्त संजय भुसरेड्डी के अनुसार, इस वर्ष की आपूर्ति योजना के तहत सीमांत किसानों (1 हेक्टेयर तक) के लिए गन्ना सट्टा की अधिकतम सीमा 850 क्विंटल तक बढ़ा दी गई है। छोटे किसानों (2 हेक्टेयर तक) के लिए यह सीमा 1,700 से बढ़ाकर 1,800 क्विंटल कर दी गई है और सामान्य किसानों (5 हेक्टेयर तक) के लिए 4,250 से 4,500 क्विंटल की सीमा तय की गई है।
उत्पादन बढ़ने पर सट्टा सीमा में वृद्धि
उत्पादन बढ़ने की स्थिति में सीमांत, छोटे और सामान्य किसानों की सट्टा सीमा क्रमशः 1,350 क्विंटल से 1,400 क्विंटल, 2,700 क्विंटल से 2,800 क्विंटल और 6,750 क्विंटल से 7,000 क्विंटल कर दी गई है।
छोटे किसानों को राहत
छोटे किसानों को अब 72 क्विंटल गन्ना होने पर भी सट्टा में शामिल किया जाएगा, जो पहले 60 क्विंटल तक सीमित था। इससे किसानों को 45 दिनों तक गन्ने की आपूर्ति करने की सुविधा मिलेगी।
नई प्राथमिकताएं और विशेष प्रावधान
इस साल की सट्टा नीति में कई नई प्राथमिकताएं और प्रावधान शामिल किए गए हैं:
- सैनिकों, अर्धसैनिक बलों, पूर्व सैनिकों, स्वतंत्रता सेनानियों और उनके उत्तराधिकारियों को गन्ना आपूर्ति में प्राथमिकता दी जाएगी।
- भूमि अधिग्रहण और बिक्री की स्थिति में बुनियादी कोटा हस्तांतरण की सुविधा होगी।
- ड्रिप सिंचाई तकनीक का उपयोग करने वाले किसानों को सट्टा आपूर्ति में प्राथमिकता दी जाएगी।
- पेराई सत्र के दौरान सदस्य किसान की मृत्यु होने पर उसके परिवार को सट्टा जारी रखने की सुविधा दी जाएगी।
औसत गन्ना आपूर्ति पर आधारित कोटा
आयुक्त ने बताया कि पिछले दो, तीन और पांच वर्षों की औसत गन्ना आपूर्ति के आधार पर इस वर्ष के पेराई सत्र में अधिकतम औसत गन्ना आपूर्ति को बुनियादी कोटा माना जाएगा। इससे न केवल किसानों को अधिक गन्ना आपूर्ति करने का मौका मिलेगा, बल्कि चीनी मिलों को भी अधिक गन्ना उपलब्ध होगा।
इसके अतिरिक्त, वे किसान जिन्होंने 2025-2026 के पेराई सत्र में पहली बार गन्ना आपूर्ति की थी, उन्हें भी बुनियादी कोटा पूरा मानकर शामिल किया जाएगा।
ऑनलाइन प्रक्रिया और हेल्पडेस्क
गन्ना सट्टा सूची को अंतिम रूप देकर “स्मार्ट गन्ना किसान (ईआरपी)” वेबसाइट caneup.in पर ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा। किसानों की सहायता के लिए नए टर्मिनलों को जोड़ते हुए हेल्पडेस्क भी स्थापित किया जाएगा।
गन्ना आपूर्ति में अनियमितता पर कार्रवाई
इस वर्ष की आपूर्ति नीति में यदि किसी गन्ना आपूर्ति किसान का दोहरा सट्टा पाया गया तो इसे गन्ना कार्यान्वयन समिति की बैठक में रखकर गन्ना आपूर्ति और गन्ना मूल्य भुगतान को रोकने की कार्रवाई की जाएगी।
इस नीति से गन्ना माफिया द्वारा गन्ने की अनियमित आपूर्ति पर रोक लग सकेगी। 30 सितंबर 2024 तक गठित गन्ना समितियों के सदस्य ही अगले पेराई सत्र में गन्ना आपूर्ति के पात्र होंगे। गांव-वार सर्वेक्षण के आधार पर सट्टा सूची 20 जुलाई से 30 अगस्त 2024 तक देखी जा सकेगी।
यह नीति छोटे किसानों और गन्ना आपूर्ति की प्रक्रिया को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
गन्ना किसान पर्चियों की स्थिति की निगरानी कैसे कर पाया है?
- caneup.in पर लॉग इन करें।
- पर्ची कैलेंडर तक पहुँचने के लिए, उसी नाम वाले विकल्प पर क्लिक करें।
- कृपया अपना गन्ना किसान पंजीकरण नंबर दर्ज करें।
चीनी मिलों के लिए क्या अच्छी चीजें होंगी?
- इससे गन्ने की आपूर्ति और उसकी कटाई का शेड्यूल अच्छी तरह से प्रबंधित हो गया है।
- कटाई और परिवहन लागत में कमी।
- विवादों और देरी से बचें।
गन्ना सट्टा प्रक्रिया में देरी होने पर किसानों को क्या करना चाहिए?
- caneup पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज करें।
- निकटतम गन्ना समिति कार्यालय से संपर्क करें।
- जिला गन्ना अधिकारी से समस्या का समाधान मांगें।
इन संशोधनों से गन्ना मूल्य भुगतान में कैसे सुधार आएगा?
- चीनी मिलों को समय पर गन्ना आपूर्ति करने के निर्देश।
- भुगतान प्रक्रिया में समय सीमा का निर्धारण।
- गन्ना विभाग के माध्यम से भुगतान की निगरानी।
यदि किसान के पास इंटरनेट नहीं है तो उसके पास क्या विकल्प हैं?
- किसान एसएमएस के माध्यम से अपनी पर्चियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- नजदीकी गन्ना समिति कार्यालय से सहायता ले सकते हैं।
- हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
क्या इस प्रक्रिया से गन्ना उत्पादन में वृद्धि होगी?
हां, क्योंकि:
- किसानों को समय पर पर्चियां और भुगतान प्राप्त होंगे।
- बेहतर योजना और प्रबंधन से किसानों का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
- उन्नत किस्मों और पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रेरणा मिलेगी।